4.4.4.4. Save from trouble

जनजाल,चीनता,दुख,परेसानी,पीङीत,सोच,कलेस,झमेला,दरद,असांती,जनजाल - जनजाल से छुटल, चिनता - चिनता से मुकति पावल, दुख - दुख दुर भइल, परेसानि - पारेसानि से छुट गइनि, पिङित - बङी पिङा से रहनि अब निमन बानि, सोच - सोच विचार बङीया होके के चाहि, कलेस - कलेस मे असथीर रहे के चाहि, झमेला - ङेर लोग झमेला करे ला, दरद - दरद से दुख रल, असांती - असानती से सानती भइल4.4.4.4परेशानी से मुक्‍ति