भूमिका

 

१७०३ की पाण्डुलिपि की डिजिटलीकरण परियोजना 2017 में शुरू हुई और 2023 की शुरुआत में जारी रही। इसमें मैनुअल डिजिटलीकरण, शब्दांकन (ग्लोस) की पहचान और समकालीन लैटिन, हिंदी और फ्रेंच में वर्तनी एवं अंग्रेजी में अनुवाद शामिल है। इस कार्य के लिए नियोजित और समर्पित व्यक्ति (वर्णानुक्रम में) इस तरह से हैं: पार एलियासन (उप्साला), आर्मिन कीओकेटी (उप्साला), डेविड डीमेन (उप्साला), एना पिटलोवानी (एम्स्टर्डम/कॉर्क),जोकिम ब्योर्केलिड (उप्साला), राम प्रसाद भट्ट (हैम्बर्ग), फेलिक्स रोसेन (उप्साला) ), और हाइंस वरनर वेस्लर। इसके अलावा, हमारे बीच कई पत्र-व्यवहार हुए, जिनमें पाओलो अरन्हा (रोम), रुडोल्फ काशेवस्की (बॉन), भावेशभाई वी. जाधव (सूरत), रउफ़ पारेख (इस्लामाबाद) और रूबी मैलोनी (मुंबई) शामिल हैं। गुनिला ग्रेन- एकलुंड (उप्साला) ने इस परियोजना को प्रेरित किया और शुरुआत से ही सलाह और प्रेरणा के साथ इसका पालन किया। एसआईएल टीम के रॉन लॉकवुड हमेशा फील्डवर्क एक्सप्लोरर से संबंधित आईटी मुद्दों पर सलाह देने के लिए मौजूद थे। एसआईएल टीम की अनीता वारफेल और वेरना स्टुट्ज़मैन ने अंग्रेजी और हिंदी लेआउट के साथ अपना उदार समर्थन दिया। उप्साला विश्वविद्यालय में डिजिटल मानविकी केंद्र से वू दान ने डेटाबेस के लेआउट और अपलोड में मदद की। यह संदर्भ उपकरण उन सभी के लिए उपयोगी होना चाहिए जो हिंदी के इतिहास और इसकी शब्दावली में रुचि रखते हैं। हम इस वेबोनरी में और सुधार के लिए सुझावों का स्वागत करते हैं।